BEST (100+) Narazgi Shayari In Hindi [2023]

Narazgi Shayari In Hindi :- नाराज़गी शायरी पढ़ना चाहते हो ? तो दोस्तों लेकर आये हैं आपके लिए Narazgi Shayari In Hindi जो आपको बेहद ही पसंद आने वाली है…

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Narazgi Shayari In Hindi

Narazgi Shayari In Hindi

बात बात पे नाराज़ होने की ये तेरी आदत,
जाना एक दिन मेरी जान ले जाएगी।


खूब बदला लेते हो मेरे प्यार का,
नाराज़ होकर बात बात पर।


हर बात तेरी ख़ामोशी से मान लेना,
ये भी मेरा एक तरीका है नाराज़गी जताने का।


आज कल एक ख़ामोश आवाज़ हूँ मैं,
क्योंकि खुद से ही नाराज़ हूँ मैं।


सुनो तुम बादाम खाया करो,
नरागज़ी में तुम मेरा प्यार भूल जाते हो।


ख़ुशी की तलाश में घर से थे निकले,
चार गम लेकर वापिस लौटे हैं।


जब से तुमने रुठे को मनाना छोड़ा दिया,
तब से हमने खुदा से भी नाराज होना छोड़ दिया।


बेशक़ मुझपे गुस्सा करने का हक है तुम्हें
मगर नाराज़गी में हमारा प्यार मत भूल जाना तुम।

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तुम्हें दिल से चाहा था हमने
मगर तुम हुए ना हमारे
हम ही से ही ये बेरुखी क्यों,
सभी दोस्त है तुमको प्यारे।


होके नाराज़ कहाँ जाओगे,
लौट का एक दिन मेरे पास ही तो आओगे।


ग़ुस्सा करो बेशक़ करो कोई बात नहीं,
लेकिन याद रखना तुम्हारे सिवा मेरा कोई यार नहीं।


सूख जाते हैं मेरी आँखों के आंसू भी,
तुम्हारी नाराज़गी मेरी जान लेकर रहेगी किसी दिन !!


मैं चुप हुआ तो ये दिल रोने लगा,
तू नाराज़ क्या हुआ मेरी दुनियाँ ही बदल गयी !!


2 Line Narazgi Shayari

2 Line Narazgi Shayari

इससे बुरे और क्या दिन आएंगे,
वो हमसे इतने नाराज़ पेश आएंगे।


वो हमसे यूँ नाराज़ हुए हैं क्या बताएं
बहुत बुरे हालात हुए हैं क्या बताएं
वो शख्स मुझसे मेरी पहचान ले गया,
हम एक पुरानी किताब हुए हैं क्या बताएं।


मेरा प्यार औरों जैसा नहीं,
तुम नाराज़ होते रहो, मेरा प्यार और बढ़ता जाएगा।


इससे आगे एक और कदम बड़ लो ना
नरागज़ी छोड़कर मुझसे बात कर लो ना।


अच्छे पानी को ख़राब कर देती है,
एक ग़लतफ़हमी सब ख़राब कर देती है।


नोंच खा जाती है चिंता मुझे तुम्हारी,
जब जब तुम नाराज़ होकर
मुझसे बात नहीं करते हो।


कभी धुप कभी बरसात होती है
जब जब मेहबूबा नाराज़ होती है।


वो नाराज़ रहे तो रहे हमसे,
हमने तो उन्हें इश्क़ करना नहीं छोड़ा।


पहले थे क्या.. क्या से क्या हो गए,
ज़रा सी नाराज़गी से हम जुदा हो गयी।


ओस की बूंदों में कोई लिपटा हुआ गुलाब,
ऐसी लगती है वो बारिश में भीगी हुयी।


चाँद के बिना चाँदनी अधूरी होती है,
नाराज़गी ना हो तो मोहब्बत अधूरी होती है।


कभी कभी की नाराज़गी प्यार बढ़ा देती है,
लेकिन हर दिन की नाराज़गी मान घटा देती है।


Best Narazgi Shayari

Best Narazgi Shayari

कोई बात होती तो उसका हल निकलते हम,
लेकिन यहाँ तो सारा मसला नारागज़ी का है।


किसी को मनाने से पहले, ये ज़रूर जान लेना,
कि वो शख्स तुमसे नाराज़ है या परेशान।


लोग अक्सर एक ही भूल कर जाते है,
नारागज़ी जिससे हो उसे छोड़ ज़माने को बताते हैं।


कभी धुप से चेहरा छुपाता था मेरा,
आज वही आँचल नाराज़ है मुझसे।


अनजाने में ही सही यार,
पर तुम अक्सर मेरा दिल तोड़ देते हो।


तुझसे नहीं तेरे वक्त से नाराज़ हूँ मैं
जो तुझे कभी मेरे लिए मिला ही नहीं।


नाराज़गी भी है लेकिन किसको दिखाऊं
प्यार भी है लेकिन किससे जताऊँ
वो रिश्ता ही क्या जिसमे भरोसा ही नहीं,
अब उन पर हक़ ही नहीं कैसे बताऊं।


आप नाराज़ हों रूठ के ख़फ़ा हो जाए,
बात इतनी भी ना बिगड़े कि हम जुदा हो जाए।


तुम हैरान हो मेरे चुप रहने पर,
मेरी खामोशियों का इलज़ाम है तुम पर !!


हमसे पूछिये कीमत चुकाना क्या होता है,
सुकून बेचकर इश्क़ किया था हमने !!


मोहब्बत की ये भी एक शर्त है साहेब,
सबकुछ पा कर सबकुछ खोना पड़ता है !!


Narazgi Shayari 2022

Narazgi Shayari 2022

नारागज़ी वहाँ मत रखना ऐ दोस्त,
जहाँ तुमको ही बताना पड़े के तुम नाराज़ हो।


हमारे बीच अब कहाँ वैसी बात होती है,
कभी मैं नाराज़ रहता हूँ, कभो वो नाराज़ होती है।


पहले जैसा प्यार मेरे साथ नहीं करते,
अब वो नाराज़ होते हैं तो बात नहीं करते।


मुझको छोड़ने की वजह तो बता देते,
मुझसे नाराज़ थे या फिर मुझ जैसे हज़ारों थे।


सितम हमारे सारे छांट लिया करो, जान
नाराज़ होने से अच्छा है हमे डांट लिया करो।


किस बात पे खफा हो, नाराज लग रहे हो,
लगते हो जैसे हरदम, ना आज लग रहे हो।


कुछ बातें प्यार की तू भी बोले हमे मनाते हुए,
इस चक्कर में कब से नाराज़ बैठे है।


ये कैसी मोहब्बत का आगाज़ कर रहे हो,
शुरू हुई नहीं और
पहले ही हमे नाराज़ कर रहे हो।


मजबूरी ये भी है की तुझे छोड़ नहीं सकते,
वरना वो हवा भी क़बूल नहीं जो तुझे छू के आयी हो !!


बांध कर रखा है इस रिश्ते ने हमें,
रूहें तो हमारी एक वक़्त से जुदा हैं !!


तेरे हुस्न पे मर गए थे हम,
काश तेरा दिल पहले देख लिया होता !!


वजह मत पूछो मेरे आँसुओं की,
उसका नाम लेने से भी अब डरता हूँ मैं !!


सिर्फ जिस्म नहीं रूह तक पे छले हैं,
बड़ा तेज़ाबी था इश्क़ उसका !!


कहता था बड़ा मज़ा आ गया
वो किसी और का हो के आ गया,
बेवफाओं के सिर आ ताज है मेरा मेहबूब
जिस्म खुश और रूह जला कर आ गया


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