तेरे गुनाह एक तरफ मेरी गलती एक तरफ तेरे सताए आशिक़ों की बस्ती एक तरफ सब पागल हो गए मेरा हाल देखकर मेरे आंसू एक तरफ मेरी हसी एक तरफ
क्यों मिलाया उससे जिसका हो नहीं सकता जिसका हूँ उसका मुझे होना नहीं था ऐ खुदा तूने ये कैसा मेल मिलाया जो है मेरा, मेरा होना नहीं था
कभी अपनी ज़रुरत कभी शौक बना लेते कुछ ज़ख्म मेरी रूह को बेवजह देते इतनी जल्दी क्यों मुझे आज़ाद कर दिया इश्क़ की मुझे थोड़ी और सज़ा देते