दिल को कितना मजबूर कर दिया तुमने, तुम्हारे सिवा किसी को देखना ही नहीं है इसे
इस मौसम में मेरे क़रीब आ रहे हो, लगता है आग को बारिश में मिलना ही होगा
मौत को भी हंसकर गले लगा लूंगा, बस एक दफा तू कह दे तुझे भी प्यार है मुझसे
तुम खुद को मेरे नाम करोगे क्या, मुझे चलना है एक उम्र मेरे साथ तुम चलोगे क्या
सोच सोचकर एक बात सोची मैंने, कैसा हो अगर मेरे बच्चे तुम्हें माँ कहें
क़ुदरत ने ही की है ये साज़िश, वरना कोई अनजान इतना अज़ीज़ कैसे हो सकता है
थोड़ा थोड़ा देखा था तुमको, ज़्यादा ज़्यदा मोहब्बत होने लगी तुमसे
समझदारों की बस की बात नहीं है, पागलों से पूछों मोहब्बत क्या चीज़ है
मौत ही कर सकती है, वरना किसी की ताकत नहीं हमें जुदा कर सके
हज़ार टुकड़े कर दो चाहे मेरे दिल के, हर टुकड़ा तुमसे एक नयी मोहब्बत करेगा